Lovlina Borgohain father Exclusive Interview: पिता ने लवलीना बोरगोहेन के पदक पक्का करने पर कहा- सेल्फ डिफेंस के लिए स्पोर्ट्स में उतरी, 9 साल से ओलंपिक ही था लक्ष्य

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Lovlina Borgohain father Exclusive Interview, Lovlina Borgohain Olympic medal, Tokyo Olympic Indian boxer 2020- लवलीना के पिता का इंटरव्यू

Lovlina Borgohain, Lovlina Borgohain olympic medal, Tokyo Olympic indian boxer 2020, Lovlina Borgohain father, mary kom, Lovlina Borgohain father Exclusive Interview: पिता ने लवलीना बोरगोहेन के पदक पक्का करने पर कहा- सेल्फ डिफेंस के लिए स्पोर्ट्स में उतरी, 9 साल से ओलंपिक ही था लक्ष्य-लवलीना बोरगोहेन महान मुक्केबाज मैरी कॉम की फैन रही हैं। यह महज संयोग है कि मैरी कॉम के बाहर होने के एक दिन बाद लवलीना ने पदक पक्का कर लिया है। यह किसी भी एथलीट के लिए भावुक पल होता है कि वह अपने आदर्श की बराबरी कर ले या उनसे आगे निकल जाए।

Lovlina Borgohain Olympic medal– आसाम की रहने वाली बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन ने टोक्यो ओलंपिक में भारत का नाम रोशन किया है। उन्होंने वुमन्स वेल्टर (64-69 किग्रा) के दूसरे क्वार्टरफाइनल में चीनी ताइपे की की पूर्व विश्व चैम्पियन निएन चिन चेन को हराकर सेमीफाइनल में अपना स्थान पक्का कर लिया। इस जीत के साथ ही 23 साल की लवलीना ने टोक्यो में देश के लिए दूसरा पदक पक्का कर दिया। अब सेमीफाइनल को जीतकर उनके पास पदक के रंग को बदलने का मौका होगा। लवलीना की इस जीत के बाद इनसाइड स्पोर्ट हिंदी (hindi.insidesport.in) ने उनके पिता टिकेन बोरगोहेन से बात की।

सवाल: लवलीना की इस जीत पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
टिकेन बोरगोहेन: मुझे बहुत खुशी है। उनका एक पदक पक्का हो गया है। आगे सेमीफाइनल मैच है। वो सेमीफाइनल में अच्छा प्रदर्शन दिखाए। मुझे उम्मीद है कि वो सेमीफाइनल भी आसानी से जीत जाएगी और फाइनल में पहुंच जाएगी।

सवाल: बॉक्सिंग में लवलीना की शुरुआत कैसे हुई थी?
टिकेन बोरगोहेन: वो पहले बॉक्सिंग में नहीं थी। पहले वो मुआई थाई (muay thai) में हिस्सा लेती थी। दो साल वो मुआई थाई खेली थी। उसके बाद गुवाहाटी साई सेंटर के लोग हमारे यहां प्लेयर सिलेक्शन के लिए आए थे। वहीं से उनकी शुरुआत हुई थी। बॉक्सिंग में उन्हें नौ साल हो गए। उनका लक्ष्य ओलंपिक खेलना था। ओलंपिक में उनका एक पदक अब पक्का हो गया है।
इसके लिए हम असम के लोगों को बधाई देना चाहता हूं। उन्हें शुक्रिया कहना चाहता हूं। असम के लोगों ने लवलीना के लिए दुआ मांगी है। उन्हें दीप जलाए हैं। लोगों ने साइकिल और बाइक रैली निकाली थी। मुझे लगता है कि लवलीना की सफलता में उनकी दुआओं का काफी असर पड़ा है।

सवाल: लवलीना का डायट कैसा रहता है?
टिकेन बोरगोहेन: हमलोगों का गांव में घर है। गांव में रहने वाला आदमी हूं। हमारे यहां चावल-दाल ही लोग खाते हैं। वह भी यही खाती थी। बाद में वो साई में चली गई। वहां का डायट लिस्ट अलग है। वो उसी को फॉलो करती है।

सवाल: लॉकडाउन के दौरान उनकी तैयारियों पर क्या असर पड़ा?
टिकेन बोरगोहेन: 2020 में कोविड होने के बाद लॉकडाउन हो गया था। तब वो घर चली आई थी। वो पांच महीने तक यहीं रही थी। इस दौरान घर पर ही प्रैक्टिस करती थी। इसका असर उस पर पड़ा था, क्योंकि वह ठीक से प्रैक्टिस नहीं कर पाई थी। सितंबर-अक्टूबर में कोविड के बाद वो वापस दिल्ली चली गई थी। वहां वो कोविड पॉजिटिव हो गई थी। धीरे-धीरे वो ठीक हुई और अभी खेल रही है।

सवाल: लवलीना की बॉक्सिंग के लिए आपको क्या त्याग करना पड़ा?
टिकेन बोरगोहेन: लवलीना बॉक्सिंग में जाना चाहती थी। पहले तो मुआई थाई तो बॉक्सिंग की तरह ही है। उसमें हाथ के साथ-सा पैर भी चलाते हैं। उसे किक-बॉक्सिंग कह सकते हैं। उनका शौक था। हमारे घर में लड़के नहीं हैं। मेरी तीन लड़कियां हैं। दो उसकी बड़ी बहन है। सेल्फ डिफेंस के लिए मैंने सोचा था कि उन्हें मार्शल आर्ट सिखाया जाए। बाद में बॉक्सिंग में अपने-आप चली गई।

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सवाल: क्या आपको लगा था कि वो भारत के लिए पदक जीतेंगी?
टिकेन बोरगोहेन: पदक लाएगी इसे लेकर तो हमने नहीं सोचा था। ये खेल है और इसमें कब क्या हो जाए आप कुछ नहीं कह सकते। उसे भरोसा था कि वो पदक जीत लेगी। अब एक पदक तो पक्का हो गया।

सवाल: मैरी कॉ़म के साथ लवलीना का रिश्ता कैसा है?
टिकेन बोरगोहेन: मेरी बेटी मैरी कॉम को बहुत मानती है। मैरी कॉम भी उसे बहुत प्यार करती है। दोनों साथ में प्रैक्टिस करते थे। दिल्ली में अगर मैरी कॉम के घर में पार्टी होती थी तो वह लवलीना को जरूर बुलाती थी। मेरी बेटी मैरी कॉम को दीदी कहकर बुलाती है।

सवाल: मैरी कॉम की हार के बाद आपका क्या रिएक्शन था?
टिकेन बोरगोहेन: मैरी कॉम बहुत अच्छा खेली थी। यह निर्णय ऐसा क्यों हुआ मुझे पता नहीं, लेकिन मुझे लगता था कि मैरी कॉम जीतेंगी। उनकी हार बहुत दुखद है।

सवाल: लड़कियों को खेल में बढ़ाने के लिए आप लोगों से क्या कहना चाहेंगे?
टिकेन बोरगोहेन: आजकल तो लड़का-लड़की में फर्क नहीं है। जो लड़का कर सकता है वो लड़कियां भी कर सकती हैं। इसलिए माता-पिता और अभिभावक को अपनी बेटियों को आगे बढ़ाना चाहिए। आगे बढ़कर वो अपना और देश का नाम रोशन करेंगी।

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