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ओलंपिक रजत पदक विजेता पहलवान RAVI DAHIYA ने कहा- कोरोनाकाल में भी मेरा ध्यान सिर्फ तैयारी पर था

ओलंपिक रजत पदक विजेता पहलवान RAVI DAHIYA ने कहा- कोरोनाकाल में भी मेरा ध्यान सिर्फ तैयारी पर था

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रजत पदक विजेता पहलवान रवि दहिया ने कहा- कोरोनाकाल में भी मेरा ध्यान सिर्फ तैयारी था। टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाले भारतीय पहलवान रवि दाहिया ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण खेलों के आयोजन से जुड़ी अनिश्चितता के बारे में सोचे बिना वह पूरा ध्यान अपनी तैयारी पर दे […]

रजत पदक विजेता पहलवान रवि दहिया ने कहा- कोरोनाकाल में भी मेरा ध्यान सिर्फ तैयारी था। टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाले भारतीय पहलवान रवि दाहिया ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण खेलों के आयोजन से जुड़ी अनिश्चितता के बारे में सोचे बिना वह पूरा ध्यान अपनी तैयारी पर दे रहे थे। Silver medalist Ravi Dahiya,  TOKYO OLYMPIC, WFI, CORONA

भारतीय कुश्ती महासंघ और टाटा मोटर्स के प्रायोजन करार के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में जब रवि से लॉकडाउन के दौरान तैयारियों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘ लॉकडाउन के दौरान मैं 15-20 पहलवानों के साथ अखाड़े में ही था और जब अभ्यास की अनुमति मिली तो मैं ओलंपिक के बारे में सोचे बिना अपनी तैयारी कर रहा था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ मेरे दिमाग में बस यही था कि अगर यह ओलंपिक (तोक्यो) नहीं भी होगा तो अगला ओलंपिक आयेगा और उससे पहले कई प्रतियोगिताओं में भाग लेना होगा। यह मेरा पहला ओलंपिक था इसलिए मैं इसके बारे में ज्यादा चिंतित नहीं था।’’

कोविड-19 CORONA के कारण एक साल के लिए स्थगित होने के बाद ओलंपिक का आयोजन जुलाई-अगस्त 2021 में हुआ। रवि ने इन खेलों में 57 किलोग्राम भार वर्ग की फ्रीस्टाइल वर्ग में इतिहास में रचते हुए रजत पदक अपने नाम किया था। ऐसा करने वाले देश के दूसरे पहलवान बने। Silver medalist Ravi Dahiya, , TOKYO OLYMPIC, WFI, CORONA

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इन खेलों में कांस्य पदक जीतने वाले बजरंग पूनिया ने कहा कि चोट के कारण उनका प्रदर्शन प्रभावित हुआ लेकिन वह आगे मजबूती से वापसी करेंगे।

बजरंग ने कहा, ‘‘ प्रतियोगिता के दौरान चोटिल होना काफी नुकसानदायक होता है। मैं ओलंपिक से पहले चोटिल हो गया था, जिसका खामियाजा मुझे उठाना पड़ा। चोट के बाद भी मैंने अपनी ओर से सर्वश्रेष्ठ किया।’उन्होंने कहा कि चिकित्सकों ने उन्हें फिलहाल आराम करने की सलाह दी है।

बजरंग ने कहा, ‘‘ ओलंपिक से पहले मै चोट से पूरी तरह से नहीं उबर पाया लेकिन अब खुद को ठीक करने की कोशिश कर रहा हूं। यहां आने के बाद मैंने चिकित्सकों से परामर्श ली है जिन्होंने मुझे आराम करने की सलाह दी है।’’दूसरी बार ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली महिला पहलवान विनेश फोगाट ने कहा कि कुश्ती के खिलाड़ियों के लिए चोट से उबरना मैट पर मुकाबला करने जैसा ही होता है।

उन्होंने कहा, ‘‘चोट लगने पर सबसे जरूरी बात होती है धैर्य और आत्मविश्वास बनाये रखना। इस समय दिमाग में कई तरह के नकारात्मक विचार आते है। इस समय डाइट (पोषण) का ध्यान उसी तरह से रखना होता होता है जैसा की प्रतियोगिता के दौरान होता है। इस दौरान मानसिक तौर पर आपको वैसे ही रहना होता है जैसे की आप मैट (प्रतियोगिता के समय) पर उतरने के दौरान होते है।’’

विनेश ने कहा कि वह अब टोक्योके प्रदर्शन पर निराश होने की जगह आगे के अपने खेल पर ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा,‘‘यह मेरा दूसरा ओलंपिक था। अपने पहले ओलंपिक में मैं चोटिल हो गयी थी। अब मुझे हार का सामना करना पड़ा और मैं इसे स्वीकार करती हूं। मैं आगामी प्रतियोगिताओं से पहले कमजोरियों पर काम करूंगी। सीनियर स्तर पर हमारे पास हार पर शोक करने के लिए समय नहीं है, क्योंकि अगला ओलंपिक आ रहा है और इस से पहले कई प्रतियोगिताएं हैं।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘ शीर्ष पर पहुंचना एक बात है लेकिन शीर्ष पर बने रहना चुनौतीपूर्ण है।’’डब्ल्यूएफआई ने टोक्योमें अनुशासनहीनता के लिए निलंबित कर दिया था, लेकिन बाद में चेतावनी देकर छोड़ दिया। इस कार्यक्रम में रवि, बजरंग और विनेश के अलावा टोक्योओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली युवा पहलवान अंशु मलिक, सोनम मलिक और सीमा बिस्ला भी मौजूद थी। युवा पहलवान अंशु मलिक ने बड़ी प्रतियोगिताओं के दौरान मनोचिकित्सक की जरूरत पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘ कई बार बड़े मंच पर जाकर खिलाड़ी नर्वस हो जाते है और वहां पर अगर हम मनोचिकित्सक से बात कर सके तो वह हमारे लिए अच्छा रहेगा। यह हमारी करियर की शुरुआत है और मुझे लगता है कि इस चीज पर काम हो अच्छा होगा। बड़े स्तर पर मानसिक तौर पर बेहतर तैयारी की जरूरत होती है। ’’डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि महासंघ कोशिश करेगा कि प्रतियोगिता के दौरान कुश्ती टीम के साथ एक या दो मनोचिकित्सक मौजूद रहे। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी कोशिश होगी कि प्रतियोगिताओं के दौरान टीम के साथ एक या दो मनोचिकित्सक मौजूद रहे ताकि जरूरत पड़ने पर खिलाड़ी उनसे मदद ले सके।’’ Silver medalist Ravi Dahiya, Ravi Dahiya, TOKYO OLYMPIC, WFI, CORONA, WFI

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