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बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष द्वारा खेलों के प्रति ‘अनादर’ दिखाने से नाखुश किरण रिजिजू, कहा- खेलों का ऐसा अपमान देखकर मैं व्यक्तिगत रूप से दुखी हूं

बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष द्वारा खेलों के प्रति ‘अनादर’ दिखाने से नाखुश किरण रिजिजू, कहा- खेलों का ऐसा अपमान देखकर मैं व्यक्तिगत रूप से दुखी हूं

बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष द्वारा खेलों के प्रति ‘अनादर’ दिखाने से नाखुश किरण रिजिजू, कहा- खेलों का ऐसा अपमान देखकर मैं व्यक्तिगत रूप से दुखी हूं
बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष द्वारा खेलों के प्रति ‘अनादर’ दिखाने से नाखुश किरण रिजिजू, कहा- खेलों का ऐसा अपमान देखकर मैं व्यक्तिगत रूप से दुखी हूं- खेल मंत्री किरण रिजिजू (Sports Minister Kiren Rijiju) ने शिव छत्रपति स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में एक रेसट्रैक पर अपने वाहन पार्क करने के लिए BCCI  के पूर्व अध्यक्ष और राकांपा […]

बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष द्वारा खेलों के प्रति ‘अनादर’ दिखाने से नाखुश किरण रिजिजू, कहा- खेलों का ऐसा अपमान देखकर मैं व्यक्तिगत रूप से दुखी हूं- खेल मंत्री किरण रिजिजू (Sports Minister Kiren Rijiju) ने शिव छत्रपति स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में एक रेसट्रैक पर अपने वाहन पार्क करने के लिए BCCI  के पूर्व अध्यक्ष और राकांपा प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) और अन्य वरिष्ठ नेताओं पर नाराजगी व्यक्त की.

पवार और अन्य नेता बालेवाड़ी स्थित खेल विश्वविद्यालय के चल रहे कार्यों का निरीक्षण करने गए थे. पुणे से भाजपा विधायक सिद्धार्थ शिरोले ने यह मामले ट्विटर पर उठाया और आरोप लगाया कि पवार समेत तमाम नेताओं की गाड़ियों पार्क करने के लिये एथलेटिक्स ट्रैक का इस्तेमाल किया गया.

उन्होंने ट्वीट किया, ”वीआईपी कल्चर और अहंकार. शिव छत्रपति खेल परिसर का एथलेटिक्स ट्रैक @पूर्व आईसीसी अध्यक्ष पवार , @खेल मंत्री सुनील केदार,@ खेल राज्यमंत्री अदिति तटकरे जी.”

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खेलमंत्री किरण रिजिजू ने भी इस पर अप्रसन्नता जताई. उन्होंने ट्वीट किया, ”खेलों का ऐसा अपमान देखकर मैं व्यक्तिगत रूप से दुखी हूं.”

महाराष्ट्र के खेल मंत्री केदार ने योजना बनाने में ‘निगरानी’ को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, काफिले को ट्रैक पर जाने देने का फैसला पवार की उम्र को देखते हुए लिया गया.

केदार ने एक समाचार चैनल से कहा कि पवार के स्वास्थ्य को देखते हुए वह सीढी नहीं चढ सकते थे. उन्होंने कहा, ”उन्हें ट्रैक की तरफ से ही हॉल तक ले जाया जा सकता था तो उनकी गाड़ी वहां लगानी पड़ी लेकिन बाकी गाड़ियों को रोका जा सकता था जिसके लिये मैं माफी मांगता हूं.”

उन्होंने कहा कि कृत्रिम ट्रैक आठ से दस साल तक चलता है जिसके बाद उसे बदलना पड़ता है. उन्होंने कहा, ”कोरोना महामारी के कारण पिछले डेढ साल से ट्रैक का इस्तेमाल नहीं हो रहा था. यह पहले से क्षतिग्रस्त था. राज्य सरकार ने 2019 में ही नया ट्रैक लगाने के लिये केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज दिया था.”

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