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AIFF महासचिव कुशल दास ने कहा, ‘हमरा बायो बबल अंतरराष्ट्रीय महासंघों के लिए अध्ययन का विषय’

AIFF महासचिव कुशल दास ने कहा, ‘हमरा बायो बबल अंतरराष्ट्रीय महासंघों के लिए अध्ययन का विषय’

AIFF का बायो बबल अंतरराष्ट्रीय महासंघों के लिए अध्ययन का विषय : कुशल दास
AIFF महासचिव कुशल दास ने कहा, ‘हमरा बायो बबल अंतरराष्ट्रीय महासंघों के लिए अध्ययन का विषय’ – अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के कोविड-19 के लिए तैयार किए गए जैव सुरक्षित वातावरण (बायो बबल) को लेकर पहले आशंकाएं व्यक्त की जा रही थी लेकिन कई महीनों, मैचों और प्रतियोगिताओं के बाद भी यह अभेद्य बना हुआ […]

AIFF महासचिव कुशल दास ने कहा, ‘हमरा बायो बबल अंतरराष्ट्रीय महासंघों के लिए अध्ययन का विषय’ – अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के कोविड-19 के लिए तैयार किए गए जैव सुरक्षित वातावरण (बायो बबल) को लेकर पहले आशंकाएं व्यक्त की जा रही थी लेकिन कई महीनों, मैचों और प्रतियोगिताओं के बाद भी यह अभेद्य बना हुआ है.

एआईएफएफ के महासचिव कुशल दास को लगता है कि उनका बायो बबल विभिन्न संस्थानों और अंतरराष्ट्रीय खेल महासंघों के लिए अध्ययन का विषय हो सकता है. कई खेल महासंघों के बायो बबल में वायरस की घुसपैठ हो गई थी जिसके कारण टूर्नामेंटों को रद्द और मैचों को स्थगित करना पड़ा.

जहां तक भारतीय फुटबॉल का सवाल है तो पिछले साल अक्टूबर से आई लीग क्वालीफायर शुरू होने के बाद कोई भी प्रतियोगिता रद्द नहीं की गई.

दास ने कहा, “विश्व फुटबॉल की संस्था फीफा और एशियाई संस्था एएफसी ने भी प्रशंसा की है. भारतीय फुटबॉल का बायो बबल प्रोटोकॉल केवल खेल प्रबंधन संस्थानों ही नहीं बल्कि दुनिया भर के अंतरराष्ट्रीय महासंघों के लिए भी अध्ययन का विषय है.”

महामारी के बावजूद प्रतियोगिता के सफल आयोजन का कारण एआईएफएफ के कड़े उपाय रहे जिनमें स्टेडियमों में वीआईपी संस्कृति की पूरी तरह अनदेखी भी शामिल है. एक बार बायो बबल के अंदर घुसने के बाद किसी को भी उससे बाहर आने की अनुमति नहीं थी.

दास ने कहा, “हमारे बायो बबल प्रोटोकॉल में हमारी सबसे बड़ी सफलता यह रही कि इसका उल्लंघन नहीं किया गया. हमने वीआईपी संस्कृति को प्रश्रय नहीं दिया और जो भी खिलाड़ी या स्टाफ का सदस्य एक बार बायो बबल में घुस गया उसे पूरे टूर्नामेंट के दौरान बाहर आने की अनुमति नहीं दी गई. किसी को भी इस तरह की अनुमति नहीं मिली.”

उन्होंने कहा, “हमने हर तीन-चार दिन में परीक्षण करवाए और यदि किसी का परीक्षण पॉजिटिव आया तो उसे 17 दिन तक अलग थलग रखा गया और आरटी पीसीआर के तीन परीक्षण नेगेटिव आने पर ही उसे बाहर आने की अनुमति दी गई.”

दास ने कहा, “यह कड़ा था लेकिन पूरे बायो बबल के दौरान एआईएफएफ स्टाफ ने जो बलिदान किया वह सराहनीय था. हमारे पास यहां तक कि बायो बबल में एक्सरे मशीन, चिकित्सक, फिजियो, मालिशिये, चालक भी थे ताकि पूरी तरह से टिकाऊ जैव सुरक्षित वातावरण तैयार किया जा सके.”

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