Tokyo Olympics : वी आर रघुनाथ ने कहा, रियो की तुलना में इस बार बेहतर तैयार है टीम इंडिया
Tokyo Olympics : भारत के अनुभवी ड्रैग फ्लिकर वी आर रघुनाथ का मानना है कि 2016 में हुए रियो डि जेनेरियो ओलंपिक में…

Tokyo Olympics : भारत के अनुभवी ड्रैग फ्लिकर वी आर रघुनाथ का मानना है कि 2016 में हुए रियो डि जेनेरियो ओलंपिक में आठवें स्थान पर रहने वाली हॉकी टीम की तुलना में वर्तमान टीम इस खेल महाकुंभ के लिए बेहतर तैयार है.
भारत 2016 ओलंपिक खेलों के क्वार्टर फाइनल में बेल्जियम से हार गया था. रघुनाथ इस बार ओलंपिक के लिए संभावित खिलाड़ियों की सूची में शामिल नहीं हैं.
रघुनाथ ने कहा, “कनाडा के खिलाफ ड्रॉ खेलना हमें भारी पड़ा. इससे हम भिन्न क्वालीफिकेशन ग्रुप में चले गए लेकिन मुझे लगता है कि वर्तमान टीम में शामिल खिलाड़ी ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं.”
उन्होंने हॉकी इंडिया की विज्ञप्ति में कहा, “खिलाड़ियों का यह समूह सात आठ साल से साथ में हैं और वे यूरोपीय खिलाड़ियों के संपर्क में हैं. वे रियो की तुलना में और बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं.” कर्नाटक हॉकी संघ के उपाध्यक्ष रघुनाथ ने कहा कि करीबी मैचों में जीत दर्ज करना काफी मायने रखता है.
उन्होंने कहा, “यह एक दो मैचों पर और सही लय हासिल करने पर निर्भर करता है. मैंने देखा है कि टीमें चीजों का आसान बनाकर खुले दिमाग से खेलती हैं. मैं भी खिलाड़ियों से यही कहूंगा कि वे इस बारे में बहुत अधिक नहीं सोचें.”
रूपिंदर और मनप्रीत जैसे खिलाड़ी पिछले संस्करण में भी साथ थे. 32 वर्षीय ने कहा, “उन्होंने हर क्षेत्र को अच्छी तरह से कवर किया है.”
After making his debut in the Indian Hockey Team, he noticed the importance of a good drag flick and started putting in extra training hours under the sun to become one of India’s most lethal drag flickers.
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— Hockey India (@TheHockeyIndia) May 31, 2021
पूर्व एशियाई खेलों के चैंपियन ने मौजूदा उप-कप्तान हरमनप्रीत सिंह की प्रशंसा की, जिन्होंने रघुनाथ से ड्रैग-फ्लिक कर्तव्यों को संभाला.
उन्होंने कहा, “हरमन अंडर-21 विश्व कप जीत के तुरंत बाद पहुंचे थे. उसे हमारे विंग में लेने के लिए कोचों से निर्देश थे; कम से कम 30-40 मैचों के लिए उसकी रक्षा करने के लिए ताकि उसे अंदाजा हो सके कि अंतरराष्ट्रीय हॉकी कैसे होती है. हमने उसका मार्गदर्शन किया और उसने बहुत जल्दी चीजों को समझ लिया. हम केवल 3-4 महीनों में परिणाम देख सकते थे. उसने भी गोल करना शुरू कर दिया. रूपिंदर पाल सिंह और मैंने उनके साथ एक खिलाड़ी की तरह नहीं बल्कि एक भाई की तरह व्यवहार करने की कोशिश की. हमारे कोचों ने हमें इस तरह ढाला है कि जूनियर्स सीनियर्स के आसपास सहज महसूस करते हैं. उन्होंने पिछले चार वर्षों में एक लंबा सफर तय किया है, और मुझे लगता है कि उनके पास 8-10 साल का अंतरराष्ट्रीय हॉकी करियर बचा है.”
उन्होंने आगे कहा, “वरुण कुमार और अमित रोहिदास ने भी स्क्वॉड में प्रवेश किया है. यह भारतीय हॉकी के लिए अच्छा है क्योंकि हमें नहीं पता कि कब कोई खिलाड़ी चोटिल होगा.”
नोट: ये स्टोरी पीटीआई द्वारा प्रकाशित की गई थी.
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