Tokyo Olympics: ये मेरा आखिरी ओलंपिक है- विकास कृष्ण यादव ने InsideSport से कहा
Tokyo Olympics: ये मेरा आखिरी ओलंपिक है- विकास कृष्ण यादव ने InsideSport से कहा : विकास कृष्ण यादव ने टोक्यो ओलंपिक में…

Tokyo Olympics: ये मेरा आखिरी ओलंपिक है- विकास कृष्ण यादव ने InsideSport से कहा : विकास कृष्ण यादव ने टोक्यो ओलंपिक में भारत की एक बड़ी उम्मीद हैं. उन्होंने देश के लिए एशियन खेलों में तीन पदक, कॉमनवेल्थ गेम्स में एक पदक, वर्ल्ड चैंपियनशिप में एक ब्रोंज पदक, दो बार ओलंपिक खेल चुके हैं. उनको लगता है कि उनको बॉक्सिंग के बारे में सबकुछ पता है और उनके कैबिनेट में इतने मेडल देख कर कोई भी इस बात से इनकार नहीं करेगा. हालांकि साल 2016 के रियो खेलों में क्वॉर्टरफाइनल में उनके चौंकाने वाले नॉकआउट ने उन्हें और उनके प्रशंसकों को हैरान कर दिया था.
दो महीने के बाद वे फिर सबसे बड़े मंच पर रिंग में प्रवेश करेंगे लेकिन इस बार कहानी कुछ अलग होगी. 29 वर्षीय विकास पहले से ज्यादा अनुशासित, केंद्रित और पहले से भी ज्यादा भारत के लिए स्वर्ण जीतने की चाह लेकर जाएंगे. ये भारतीय मुक्केबाज भारतीय टीम के साथ दुबई जा रहे हैं जहां एशिन चैंपियनशिप में भाग लेना है, जिसके जरिए वे टोक्यो ओलंपिक के लिए अपनी तैयारियों पर गौर कर लेंगे.
InsideSport से खास बातचीत में विकास कृष्ण यादव ने बतौर बॉक्सर अपने सफर, टोक्यो ओलंपिक के लिए ट्रेनिंग आदि के बारे में बात की है.
सवाल- बतौर बॉक्सर अपने सफर के बारे में कुछ बताइए.
जवाब- बॉक्सिंग में मेरा सफर काफी अच्छा रहा है, मैंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल जीते हैं, लगभग हर साल. मैं अपने करियर में ज्यादा चोटिल भी नहीं हुआ.
सवाल- अपना फिटनेस रूटन बताइए.
जवाब- मेरे फिटनेस रूटीन में धैर्य है. कभी मैं स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करता हूं तो कभी कार्डियो करता हूं. प्रतियोगिता से पहले, मैं गति और विशिष्ट मुक्केबाजी प्रशिक्षण के लिए खुद को ट्रेन करता हूं.
सवाल- आप 75 किलो से 69 किलो में आ गए. इसके पीछे क्या कारण था?
जवाब- मुझे लगता है कि टोक्यो ओलंपिक मेरा आखिरी ओलंपिक होगा और उसके बाद मैं अपने परिवार को वक्त दूंगा और एक अलग तरह की जिंदगी जीऊंगा. इसलिए मेरे दोस्त नीरज गोयत ने मुझे सुझाल दिया कि मुझे 69 किलो वर्ग में खेलना चाहिए. हार्ड ट्रेनिंग के दौरान मेरा वजन 71-72 हो गया था. तब मुझे सिर्फ 2-2.5 किलो कम करने थे. वो मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं थी और मैंने उनके सुझाव को माना और अपना वर्ग बदल दिया.
सवाल- आपने अमेरिका में 2 महीने ट्रेनिंग की. वहां ट्रेनिंग का अनुभव कैसा था?
जवाब- मैं अमेरिका में 2.5 महीने ट्रेनिंग की. वो अनुभव बहुत अच्छा था, काफी अच्छे बॉक्सर्क के साथ मैंने ट्रेनिंग की थी. उनका पंच बहुत जोर से पहला था. तो मुझे अनुभव और टफनेस वहां से मिली. इसके अलावा, वहां ट्रेनिंग करते हुए मेरी स्ट्रेंथ भी बढ़ी.
सवाल- ओलंपिक कैंप शुरू हुआ था तह आप एक रेसलर के साथ रहे थे. वो कौन था और उसने आपको किस तरह प्रेरणा दी?
जवाब- वो मेरा रेसलर दोस्त परमजीत सिंह यादव था, मैं उसके साथ रहा था और अनुशासन सीखा. मैंने न्यूट्रिशन और ट्रेनिंग के बारे में सीखा. उसने मुझे बहुत प्रेरणा दी और मैंने 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में पदक जीता था.
सवाल- मार्च 2021 में, आपने 2012 लंदन ओलंपिक के ब्रोंज मेडलिस्ट विसेंजो मांगियाकपरे को हराया था. उस मैच के बारे में बताइए.
जवाब- हां, मैंने उन्हें हराया था. मुझे लगता है कि वो बाउट एकतरफा थी. मैंने तीन राउंड में डॉमिनेट किया था लेकिन मुझे नहीं पता था कि जजों ने क्या स्कोर दिया था. मैंने उसे कुछ पावर शॉट्स मारे थे और मुझे लग रहा था कि वो मेरे सामने बस एक आम लड़का है.
सवाल- बॉक्सिंग में माइंड गेम्स कितना जरूरी है, आपको क्या लगता है?
जवाब- सबको लगता है कि बॉक्सिंग फिजिकल स्ट्रेंथ का खेल है लेकिन उससे ज्यादा इसमें आपको मेंटल स्ट्रेंथ की जरूरत होती है. आपको पता है कि समय के साथ आप शारीरिक तौर पर सख्त बन सकते हो लेकिन मानसिक रूप से सख्त बनना मुश्किल है.
सवाल- मौजूदा हालातों में विदेशी कैंप या ट्रेनिंग पर जाना बहुत मुश्किल है. इससे आपकी तैयारियों पर कितना प्रभाव पड़ रहा है?
जवाब- हालात ठीक हैं. हमको ट्रेनिंग और विदेशी कैंप में जाने को नहीं मिल रहा है लेकिन दुनिया के किसी भी मुक्केबाज को जाने का मौका नहीं मिल रहा है. तो ये सिर्फ हमारे लिए बुरा नहीं है. दुनिया एक महामारी से गुजर रही है. हमको इसका सामना करना होगा. ये बड़ी बात नहीं है. लेकिन अब हम इससे निकल रहे हैं और हमने अपनी ट्रेनिंग दोबारा शुरू कर दी है. अब हमारी टीम ट्रेनिंग के लिए कहीं जा रही है और अब हमारी टीम एशिन चैंपियनशिप के लिए भी जा रही है.
सवाल- आप सिर्फ दूसरे भारतीय हैं जो तीसरे ओलंपिक के लिए जा रहे हैं. 2016 और 2012 के विकास में और अब के विकास में क्या अंतर है?
जवाब- जब मैं 2012 और 2016 के लिए क्वालीफाई हुआ था, मैं एक अनुशासित लड़का नहीं था. मैं अपनी ट्रेनिंग, क्रिएशन और रिकवरी के लिहाज के अनुशासित नहीं था. लेकिन 2020 में मैं काफी अनुशासिच हो गया हूं. पहले से ज्यादा अनुशासित, केंद्रित और पहले से भी ज्यादा भारत के लिए स्वर्ण जीतने की चाह लेकर जा रहा हूं.
सवाल- आप अपने खाली समय में क्या करते हैं? आप किताब पढ़ते हैं, कौन सी?
जवाब- हां, मैं अपने समय को बर्बाद नहीं करता. मुझे किताबे पढ़ना पसंद है. कुछ दिन पहले मैं ‘The Power of Your Subconscious Mind’ पढ़ रहा था. अब मैं ‘Mind Games’ पढ़ रहा हूं.