Tokyo Olympics: पिता सिलते थे फटे कपड़े, मां ने किया फैक्ट्री में काम; अब बेटी भारतीय महिला हॉकी टीम के साथ करेगी देश का सिर ऊंचा
Tokyo Olympics: निशा वारसी ने मजबूरी में हॉकी को चुना था करियर, पिता सिलते थे फटे कपड़े, मां ने किया फैक्ट्री में…

Tokyo Olympics: निशा वारसी ने मजबूरी में हॉकी को चुना था करियर, पिता सिलते थे फटे कपड़े, मां ने किया फैक्ट्री में काम, अब लड़की Olympics में करेगी देश का सिर ऊंचा- ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करना किसी भी एथलीट की पहली और आखिरी ख्वाहिश होती है. खेलों के इस महाकुंभ में पहुंचने का सपना हर कोई देखता है लेकिन मंजिलें सिर्फ मेहनत करने वाले को नसीब होती है. भारत में खेलों को लेकर स्थिति इस दशक में थोड़ी सी बदली हुई नजर आ रही है लेकिन इससे पहले खिलाड़ियों को कई खेल में करियर बनाने के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था. ज्यादातर एथलीटों (लड़कियों) के परिवार के सदस्य उन्हें बाहर जाने, खेलने से रोकने का प्रयास करते थे. हालांकि अब कई ऐसे खिलाड़ी दूर -दराज से निकलकर आ रहे हैं जो सिर्फ अपने खेल के दम पर नाम कमा रहे हैं. ऐसी ही एक खिलाड़ी हैं जो ओलंपिक जा रही भारतीय दल का हिस्सा हैं. हम बात कर रहे हैं भारतीय हॉकी खिलाड़ी निशा वारसी (Nisha Warsi ) की. जिनकी भारतीय महिला हॉकी टीम (India women’s hockey team) में जगह और फिर ओलंपिक जाने वाली टीम का हिस्सा बनने तक का सफर बहुत ही मुश्किलों और संघर्ष से भरा है.
Tokyo Olympics: भारतीय महिला हॉकी टीम (India women’s hockey team) की डिफेंडर निशा वारसी, जो राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता प्रीतम रानी सिवाच की अकादमी से हैं, उन्होंने ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए कई बाधाओं का सामना किया है. अकादमी सोनीपत, हरियाणा में है.
ये भी पढ़ें- Tokyo Olympics: भारत ने रानी रामपाल की अगुवाई में टोक्यो के लिए 16 सदस्यीय महिला हॉकी टीम चुनी
निशा वारसी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में कहा, “जीवन आसान नहीं था. मैं हमेशा खेल के बारे में बहुत भावुक थी, लेकिन हम एक-दूसरे से जुड़े हुए थे और मेरे माता-पिता मेरे खेल करियर में निवेश करने का जोखिम नहीं उठा सकते थे. मैंने हॉकी को चुना क्योंकि हमें उपकरणों पर खर्च नहीं करना पड़ता था.”
वारसी के पिता एक दर्जी का काम करते थे. 2015 में एक स्ट्रोक की वजह से वो लकवा (paralysed) हो गए और उन्हें अपना काम छोड़ना पड़ा. जिसके बाद उनकी मां ने घर का जिम्मा संभाला और एक फैक्ट्री में काम करने लगी लेकिन इसी बीच परिवार के लिए एक खुशी की खबर आई. वारसी को रेलवे में जॉब मिल गई. एक समय पर इस हॉकी खिलाड़ी को आर्थिक परिस्थितियों की वजह से गेम से दूर होना पड़ा था लेकिन जब उनके कोच सिवाच ने परिवार वालों को मनाया फिर जाकर वो एक छोटे से ब्रेक के बाद खेल में वापसी करने में कामयाब रही.
ये भी पढ़ें- Tokyo Olympic 2020: वरुण कुमार-सिमरनजीत सिंह पुरुष हॉकी और रीना खोकर-नमिता टोप्पो महिला हॉकी टीम में शामिल
निशा ने कहा, “ये कठिन समय रहा है. मैं अपने परिवार, विशेष रूप से अपने पिता के बारे में लगातार चिंतित थी. परिस्थितियों ने मुझे अच्छा प्रदर्शन करने के लिए और अधिक दृढ़ बना दिया है,” वहीं परिवार ने पड़ोस में मिठाई बांटकर ओलंपिक टीम में चुने जाने का जश्न मनाया था लेकिन निशा का मानना है कि सच्चाई अभी दूर है. “हम सभी ने ओलंपिक के लिए बहुत मेहनत की है और ध्यान केंद्रित किया है.