Thomas Cup 2022: भारतीय बैडमिंटन टीम (Indian Badminton Team) ने 73 साल बाद इतिहास रचा है और थॉमस कप (Thomas Cup) के सेमीफाइनल (Thomas Cup Semifinal) में डेनमार्क को हराकर फाइनल में जगह बनाई है। 13 मई को हुए रोमांचक सेमीफाइनल मुक़ाबले में 2-2 की बराबरी के बाद एक बार फिर जीत का जिम्मा एचएस प्रणॉय (HS Prannoy) पर आ गया लेकिन प्रणॉय ने दर्द सहते हुए, संयम से और दृढ़ता के साथ डेनमार्क (IND vs DEN) के अपने प्रतिद्वंदी को 3 गेम के एक कड़े मुक़ाबले में हराकर भारत को 3-2 की बढ़त दिलाई। अब भारत इस टूर्नामेंट की शुरुआत के 73 साल बाद पहली बार इस खिताब के लिए अपनी दावेदारी (Thomas Cup Final) ठोकेगा। खेल की ताजा खबरों के लिए जुड़े रहिए- hindi.insidesport.in
थॉमस कप की शुरुआत में इस भारतीय दल से किसी को ज्यादा उम्मीदें नज़र नहीं आ रही थी और हर बैडमिंटन फैन ये मान कर बैठा था कि इस टूर्नामेंट में जैसा भारत का इतिहास रहा है वही एक बार फिर से दोहराया जाएगा। यहीं भारत के सबसे भरोसेमंद बैडमिंटन खिलाड़ी एचएस प्रणॉय की एंट्री हुई और उन्होंने वो अजूबा कर दिखाया और अब भारतीय टीम फाइनल में 14 बार की चैंपियन इंडोनेशिया से रविवार को भिड़ेगी।
अपने पहले ही गेम में बहुत बुरी तरह से कोर्ट पर गिरने के कारण प्रणॉय को दर्द से लंगड़ाते हुए देखा गया, लेकिन दुनिया के 23वी रैंकिंग के इस बैडमिंटन खिलाड़ी की आंखों में एक दृढ़ संकल्प था मानो यह आदमी किसी मिशन के लिए निकला हो और उसे पूरा करना ही इसका एकमात्र गोल हो, प्रणॉय में कुछ उसी तरह का आत्मविश्वास दिखाई दिया। चोट के बाद भी प्रणॉय ने अपने घुटनों को टिकने नहीं दिया और भारत के लिए एक इतिहास लिख दिया।
दुनिया के 13वे रैंक के खिलाड़ी जेमके के खिलाफ जब अपने शुरूआती गेम में प्रणॉय का नेट के करीब पैर मुड़ा और वो गिर गए, तब लगा कि भारत की किस्मत एक बार फिर फिसल गई। तुरंत ही मेडिकल टीम ने प्रणॉय की चोट पर स्प्रे और बैंडेज किया, जिसके बाद प्रणॉय कोर्ट में उठ खड़े हुए, क्योंकि उन्हें पता था कि यहां से अगर इतिहास रचना है तो उन्हें वापसी करनी होगी। लेकिन ये उनके लिए उतना आसान नहीं था, क्योंकि उनका प्रतिद्वंदी ये जान चूका था कि वो चोटिल हो चुके हैं।
पहले गेम में 13-21 से पीछे रहने के बाद प्रणॉय ने भारतीय बैडमिंटन इतिहास का अब तक के अपने सबसे बेहतर खेल को प्रदर्शित किया, पैर में चोट के कारण दर्द सहते हुए, जिस तरह से उन्होंने दूसरा मुक़ाबला अपने नाम किया वह काबिलेतारीफ़ था। अपने शानदार शॉट्स की वजह से प्रणॉय ने जेमके की गति को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया था और 21-9 से दूसरा मुक़ाबला उन्होंने अपने नाम किया।
How good is this? India 🇮🇳 has made it to their first ever Thomas Cup 🏆 final. @BAI_Media#ThomasUberCups #Bangkok2022 pic.twitter.com/wPM1rra7W4
— BWF (@bwfmedia) May 13, 2022
मुक़ाबला अब निर्णायक गेम 3 में पहुंच चुका था और भारतीय टीम से लेकर फैंस की धड़कने भी बढ़ी हुई थी, क्योंकि भारत इतिहास से बस एक ही कदम दूर था। लेकिन प्रणॉय को अभी भी चिड़ियां की आंख ही दिखाई दे रही थी और वह बड़े ही शांत और धैर्य से गेम 3 में खेले भी। गेम 3 की शुरुआत 4-0 से करते हुए प्रणॉय ने अपने प्रतिद्वंदी को पूरे गेम में आगे बढ़ने का मौका नहीं दिया। तीसरे गेम को प्रणॉय ने 22-20 से अपने नाम किया और उस समय एरीना में भारतीय कोच, खिलाड़ी और सपोर्टिंग स्टाफ मौजूद थे, जिन्होंने पॉइंट होते ही प्रणॉय को गले लगा लिया और उनके इस वीरता भरे प्रदर्शन का कोर्ट पर ही जमकर जश्न मनाया।
इस टूर्नामेंट की शुरुआत भारतीय टीम के लिए अच्छी नहीं रही थी। लेकिन अब हकीकत यही है कि भारतीय टीम 73 साल बाद थॉमस कप के फाइनल में प्रवेश कर चुका है और पहली बार एक पदक देश आने वाला है और इस टूर्नामेंट में कोई एक खिलाडी हैं जिसने सबसे अधिक प्रभावित किया है वो कोई और नहीं बल्कि प्रणॉय ही होंगे। जिन कठिन परिस्थितयों में उन्होंने संयम, दर्द सहने की ताकत और दृढ़ निश्चय दिखाया वही एक चैंपियन खिलाडी की निशानी होती है।