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Ranji Trophy Final: ‘क्या मजाक है’ दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड के पास रणजी ट्रॉफी में DRS के इस्तेमाल के लिए पैसे नहीं!

Ranji Trophy Final: ‘क्या मजाक है’ दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड के पास रणजी ट्रॉफी में DRS के इस्तेमाल के लिए पैसे नहीं!

Ranji Trophy Final: बीसीसीआई (BCCI) दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड है लेकिन बोर्ड ने रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy DRS) के फाइनल मुक़ाबले में डीआरएस (DRS) का इस्तेमाल करने से इसलिए मना किया है, क्योंकि उसके लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं। बीसीसआई (BCCI) के इस फैसले का असर रणजी ट्रॉफी के फाइनल (Ranji […]

Ranji Trophy Final: बीसीसीआई (BCCI) दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड है लेकिन बोर्ड ने रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy DRS) के फाइनल मुक़ाबले में डीआरएस (DRS) का इस्तेमाल करने से इसलिए मना किया है, क्योंकि उसके लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं। बीसीसआई (BCCI) के इस फैसले का असर रणजी ट्रॉफी के फाइनल (Ranji Trophy Final Live) मुक़ाबले पर भी देखने को मिल रहा है। दरअसल, शानदार फॉर्म में चल रहे सरफराज खान (Sarfaraz Khan) को जयंत यादव ने अपनी एक गेंद पर फंसा लिया था, जिसके बाद उन्होंने एलबीडब्ल्यू के लिए एक अपील की लेकिन इस अपील को अंपायर ने नकार दिया। हालांकि रीप्ले में यह करीबी मामला नज़र आ रहा था। खेल की ताजा खबरों के लिए जुड़े रहिए hindi.insidesport.in

रणजी ट्रॉफी के 2018-19 सीजन में भारतीय टेस्ट टीम के बल्लेबाज़ चेतेश्वर पुजारा को कर्नाटक के खिलाफ खेलते हुए दो बार विकेट के पीछे कैच को लेकर जीवनदान मिला था। जिसके बाद कर्नाटक को इसकी कीमत हारकर चुकानी पड़ी थी। इसके बाद बीसीसीआई ने अगले सीजन 2019-20 में ‘लिमिटेड डीआरएस’ का इस्तेमाल किया था। इस डीआरएस में हॉक-आई और अल्ट्राएज जैसी तकनीकों का इस्तेमाल नहीं किया गया था।

बीसीसीआई के एक अधिकारी ने TOI को कहा, ‘हमें अपने अंपायरों पर भरोसा है।”

एक पूर्व खिलाड़ी ने कहा, “डीआरएस का उपयोग करना एक महंगा अभ्यास है। खर्चे बढ़ जाते हैं। फाइनल में डीआरएस ही नहीं तो क्या फर्क पड़ता है। अब समय आ गया है कि हम अंपायरों पर भरोसा करें। भारत के दो सर्वश्रेष्ठ अंपायर (केएन अनंतपद्मनाभन और वीरेंद्र शर्मा) इस खेल में अंपायरिंग कर रहे हैं। और अंतिम परिणाम क्या है? यदि आप फाइनल में इसका इस्तेमाल करते हैं, तो फिर आप इसे रणजी ट्रॉफी के लीग चरण में भी पेश करना चाहेंगे।”

बीसीसीआई ने हाल ही में संपन्न हुई मीडिया बोली से 48 340 करोड़ रूपये कमाए हैं। वहीं दूसरी ओर बीसीसीआई ने रणजी ट्रॉफी में डीआरएस के इस्तेमाल को महंगा बताया है।

बीसीसीआई के एक सूत्र ने बताया, “हर मशीन की वायरिंग बहुत महंगी होती है। हॉकआई जैसी तकनीक के लिए अतिरिक्त कैमरों की जरूरत पड़ती है। रणजी ट्रॉफी के मैच सीमित संसाधनों के साथ आयोजित किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि एक मैच में 2 कैमरा सेटअप के लिए 6 हजार डॉलर और चार सेट कैमरे के लिए 10 हजार डॉलर और हॉटस्पॉट का खर्चा मिलाकर 16000 डॉलर यानी लगभग साढ़े 12 लाख रुपये खर्च करने होते हैं जो एक बड़ी राशि है।”

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