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Vinod Rai Book: विनोद राय की किताब में खुलासा, अनिल कुंबले को लगता था उनके साथ अनुचित व्यवहार हुआ

Vinod Rai Book: विनोद राय की किताब में खुलासा, अनिल कुंबले को लगता था उनके साथ अनुचित व्यवहार हुआ

Vinod Rai Book: पांच साल पहले विराट कोहली (Virat Kohli) और अनिल कुंबले Anil Kumble) के बीच हुए विवाद की वजह से भारतीय क्रिकेट में भूचाल ला दिया था। बात इस कदर बढ़ गई थी के अनिल कुंबले को अपना पद तक छोड़ना पड़ा था। अब इस विवाद को लेकर प्रशासकों की समिति (सीओए) के […]

Vinod Rai Book: पांच साल पहले विराट कोहली (Virat Kohli) और अनिल कुंबले Anil Kumble) के बीच हुए विवाद की वजह से भारतीय क्रिकेट में भूचाल ला दिया था। बात इस कदर बढ़ गई थी के अनिल कुंबले को अपना पद तक छोड़ना पड़ा था। अब इस विवाद को लेकर प्रशासकों की समिति (सीओए) के प्रमुख रहे विनोद राय की किताब (Vinod Rai Book) ‘नॉट जस्ट ए नाइटवॉचमैन: माय इनिंग्स इन द बीसीसीआई’ में नया खुलासा हुआ है। खेल की ताजा खबरों के लिए जुड़े रहिए- hindi.insidesport.in

प्रशासकों की समिति (COA) के प्रमुख रहे विनोद राय (Vinod Rai) के अनुसार अनिल कुंबले को लगता था कि उनके साथ ‘अनुचित व्यवहार’ किया गया और भारतीय टीम के मुख्य कोच के पद से इस्तीफा देने के लिए बाध्य किया गया लेकिन तत्कालीन कप्तान विराट कोहली का मानना था कि खिलाड़ी अनुशासन लागू करने की उनकी ‘डराने’ वाली शैली से खुश नहीं थे। राय ने हाल में प्रकाशित हुई इस किताब में अपने 33 महीने के कार्यकाल के विभिन्न पहलुओं का जिक्र किया है।

आपको बता दें कि कुंबले के साथ 2016 में बतौर हेड कोच एक साल का अनुबंध किया गया था। सबसे विवादास्पद मामला उस समय हुआ जब कोहली ने कुंबले के साथ मतभेद की शिकायत की जिसके बाद 2017 में चैंपियन्स ट्रॉफी के बाद सार्वजनिक रूप कुंबले ने इस्तीफे की घोषणा की।

राय ने अपनी किताब में लिखा, कप्तान और टीम प्रबंधन के साथ मेरी बातचीत में यह पता चला कि कुंबले काफी अधिक अनुशासन लागू करते थे और इसलिए टीम के सदस्य उनसे काफी अधिक खुश नहीं थे। मैंने इस मुद्दे पर विराट कोहली के साथ बात की और उन्होंने कहा कि टीम के युवा सदस्य उनके साथ काम करने के उनके तरीके से डरते थे।

राय ने खुलासा किया कि सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण की क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) ने कुंबले का अनुबंध बढ़ाने की सिफारिश की थी।

उन्होंने कहा, इसके बाद लंदन में सीएसी की बैठक हुई और इस मुद्दे को सलुझाने के लिए दोनों के साथ अलग अलग बात की गई। तीन दिन तक बातचीत के बाद उन्होंने मुख्य कोच के रूप में कुंबले की पुन: नियुक्ति की सिफारिश करने का फैसला किया।

हालांकि बाद में जो हुआ उससे जाहिर था कि कोहली के नजरिए को अधिक सम्मान दिया गया था और इसलिए कुंबले की स्थिति अस्थिर हो गई थी।

राय ने लिखा, कुंबले के ब्रिटेन से लौटने के बाद हमने उनके साथ लंबी बातचीत की। जिस तरह पूरा प्रकरण हुआ उससे वह स्पष्ट रूप से निराश थे। उन्हें लगा कि उनके साथ गलत व्यवहार किया गया है और एक कप्तान या टीम को इतना महत्व नहीं दिया जाना चाहिए। कोच का कर्तव्य था कि वह टीम में अनुशासन और पेशेवरपन लाए और एक वरिष्ठ के रूप में खिलाड़ियों को उनके विचारों का सम्मान करना चाहिए था।

राय ने यह भी लिखा कि कुंबले ने महसूस किया कि प्रोटोकॉल और प्रक्रिया का पालन करने पर अधिक भरोसा किया गया और उनके मार्गदर्शन में टीम ने कैसा प्रदर्शन किया, इसे कम महत्व दिया गया। उन्होंने लिखा, वह निराश था कि हमने प्रक्रिया का पालन करने को इतना महत्व दिया था और पिछले वर्ष में टीम के प्रदर्शन को देखते हुए, वह कार्यकाल में विस्तार का हकदार था।

राय ने कहा कि उन्होंने कुंबले को समझाया था कि उनके कार्यकाल को विस्तार क्यों नहीं मिला। उन्होंने लिखा, मैंने उन्हें समझाया कि इस तथ्य पर विचार करते हुए कि 2016 में उनके पहले के चयन में भी एक प्रक्रिया का पालन किया गया था और उनके एक साल के अनुबंध में कार्यकाल के विस्तार का कोई नियम नहीं था, हम उनकी पुन: नियुक्ति के लिए भी प्रक्रिया का पालन करने के लिए बाध्य थे और ठीक यही किया गया।

राय ने हालांकि कोहली और कुंबले दोनों की ओर से इस मुद्दे पर गरिमापूर्ण चुप्पी बनाए रखना परिपक्व और विवेकपूर्ण पाया, नहीं तो यह विवाद जारी रहता।

उन्होंने लिखा, कप्तान कोहली के लिए सम्मानजनक चुप्पी बनाए रखना वास्तव में बहुत ही विवेकपूर्ण है। उनके किसी भी बयान से विचारों का अंबार लग जाता।

राय ने कहा, कुंबले ने भी अपनी तरफ से चीजों को अपने तक रखा और किसी भी मुद्दे पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी। यह ऐसी स्थिति से निपटने का सबसे परिपक्व और सम्मानजनक तरीका था जो इसमें शामिल सभी पक्षों के लिए अप्रिय हो सकता था।

इस पूरे विवाद के बाद रवि शास्त्री को टीम इंडिया का हेड कोच बनाया गया था. हालांकि, उनकी नियुक्ति को लेकर भी विवाद खड़ा हुआ था। लेकिन वह पूरे 4 साल तक के लिए टीम इंडिया के हेड सोच बने रहे।

(भाषा)

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